
योग एक शानदार तरीका है जिससे लड़कियाँ न केवल अपने शारीरिक स्वास्थ्य को सुरक्षित रख सकती हैं, बल्कि अपने मानसिक स्थिति को भी सुधार सकती हैं। इस लेख में, हम आपको बताएंगे कि लड़कियों के लिए कौन-कौन से योग करने चाहिए जो उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद कर सकते हैं। तो चलिए जानते हैं, कौन-कौन से योग आपके लिए उपयुक्त हो सकते हैं:
1. पद्मासन (लॉटस पोज़)
यह आसन स्थिरता और मानसिक शांति प्रदान करता है। यह आपके बैक, हिप्स, और घुटनों को मजबूत बनाता है।
पद्मासन या लॉटस पोज़ योगासन की एक प्रमुख आसन है जो योग प्रैक्टिस में उपयोग किया जाता है। इस आसन में शरीर को पूरी तरह से स्थिर और सुखद बनाने का प्रयास किया जाता है।
योगासन के रूप में, पद्मासन का मुख्य लक्ष्य शारीरिक और मानसिक स्थिरता प्राप्त करना होता है। यह आसन ध्यान के लिए आदर्श माना जाता है, क्योंकि इसके माध्यम से बैठे हुए व्यक्ति को आसानी से ध्यान करने की क्षमता मिलती है।
पद्मासन कैसे करें:
- पहले एक योगमाट या सजग किलिन चटाई पर बैठें।
- पैरों को सीधे रखकर बैठें।
- दाहिनी पैर को उठाएं और उसे अपने वीर्य के बांजी की ओर ले जाएं।
- वायु की मदद से उस पैर को घुटनों से मोड़ते हुए, उसके टट्टू और गोडी के बीच के आस-पास दुबारा लाएं।
- अब बाएं पैर को उठाएं और उसे अपने नाभि की ओर ले जाएं।
- वायु की मदद से उस पैर को घुटनों से मोड़ते हुए, उसके टट्टू और गोडी के बीच के आस-पास दुबारा लाएं।
- अब दोनों पैरों के टट्टू गोडी के बीच में हों।
- कम से कम २-३ मिनट तक इस पोज़ में बैठें।
ध्यान दें कि पद्मासन को करने के लिए आपकी शरीर की लचीलापन और शरीर की स्थिरता की आवश्यकता होती है। अगर आपको पद्मासन करने में कोई असुविधा हो तो आप धीरे-धीरे इसे सीख सकते हैं और शुरुआत में उपयुक्त सहायता लेना भी फायदेमंद हो सकता है।
2. भद्रासन (बटरफ्लाई पोज़)
यह आसन पेट की मांसपेशियों को मजबूत करने में मदद करता है और प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथों में मासिक धर्म संबंधित समस्याओं के लिए भी फायदेमंद माना गया है।
भद्रासन, जिसे बटरफ्लाई पोज़ भी कहते हैं, योगासन का एक महत्वपूर्ण आसन है जो शरीर की मांसपेशियों को खोलने और मानसिक शांति प्राप्त करने में मदद करता है। यह आसन विशेष रूप से पेड़ों की पत्तियों के समान दिखता है, जिससे इसका नाम बटरफ्लाई पोज़ आया है।
भद्रासन कैसे करें:
- सबसे पहले एक योगमाट या सजग किलिन चटाई पर बैठें।
- अपने पैरों को समवायु रूप में फैलाएं और साँसों को धीरे से छोड़ दें।
- अब अपने दोनों पैरों को घुटनों से मोड़कर अपने नाभि की ओर ले जाएं।
- अपने पैरों को दोनों हाथों से पकड़ कर उन्हें अपने शरीर के करीब खींचें।
- आपके पैरों की तलवों को मिलाते हुए, अपने पैरों को जमीन पर लाएं।
- आपके पैरों को धीरे-धीरे अपने शरीर के करीब खिंचते हुए, अपने पैरों को सुनिश्चित करें कि वे आपके करीब अच्छे से लग रहे हैं।
- साथ ही, आपके घुटनों को धीरे से खोलें ताकि आपके पैर जमीन पर हो सकें और आप आसानी से अपने पैरों को फैला सकें।
- अब अपने पैरों की अंगुलियों को अपने शरीर की ओर मोड़ें ताकि वे आपकी पड़ी और जले मिल जाएं।
- इस स्थिति में आपके पैरों को जमीन पर रहने दें और साँस लेते हुए धीरे-धीरे अपने पैरों को आपस में मिलाएं।
- इस स्थिति में २-३ मिनट तक बने रहें और साँस धीरे-धीरे और गहरी रूप से लें।
यदि आपको किसी भी तरह की असुविधा हो या आपकी शरीर की लाचीलापन या स्थिरता में कोई समस्या हो, तो कृपया विशेषज्ञ के साथ परामर्श करें।
3. उत्तानासन (स्त्रेचिंग पोज़)

यह आसन पूरे शरीर की मांसपेशियों को खींचकर मजबूत बनाता है और स्वास्थ्यपूर्ण वजन के बनाए रखने में मदद करता है।
उत्तानासन, जिसे स्त्रेचिंग पोज़ भी कहा जाता है, एक प्रसिद्ध योगासन है जिसमें शरीर की पूरी मांसपेशियों को खींचा जाता है और शारीरिक लचीलापन बढ़ता है। यह आसन शारीर को उत्तम तरीके से ताजगी मिलती है और मानसिक स्थिरता को बढ़ावा देता है।
उत्तानासन कैसे करें:
- सबसे पहले एक योगमाट या सजग किलिन चटाई पर बैठें।
- अपने पैरों को आगे की ओर फैलाएं और साँस धीरे से छोड़ें।
- अब अपने शरीर को सीधा रखकर, अपने हाथों को सिर की ओर ले जाएं।
- हाथों की उंगलियों को पैरों की ओर ले जाते हुए अपने पैरों की उंगलियों को पकड़ लें।
- अब आपके शरीर को धीरे-धीरे आगे की ओर झुकाएं, जैसे कि आप किसी को आगे की ओर गोदी कर रहे हों।
- आपकी पीठ को सम्भालते हुए, धीरे-धीरे आगे की ओर झुकें और अपने पूरे शरीर को बेड़ा बनाएं।
- आपकी सांस को बिना ठहराए, इस स्थिति में ३० सेकंड तक रहें और शांति से साँस लेते रहें।
- धीरे-धीरे उठते समय, पूरे शरीर को समवायु रूप में सामान्य स्थिति में लाएं।
यदि आपको यह आसन करने में किसी भी प्रकार की असुविधा हो या आपके शरीर में किसी तरह की समस्या हो, तो कृपया विशेषज्ञ के साथ परामर्श करें।
4. वीरभद्रासन (वीर पोज़)

यह आसन स्पाइन को सुखद बनाता है और पीठ, हिप्स, और बछड़े की मांसपेशियों को मजबूत करता है।
वीरभद्रासन, जिसे वीर पोज़ भी कहते हैं, एक प्रमुख योगासन है जो शरीर की मांसपेशियों को मजबूती देने और स्थिरता प्राप्त करने में मदद करता है। इस आसन में शरीर को वीरभद्र के रूप में आकारित किया जाता है, जिससे इसका नाम वीर पोज़ आया है।
वीरभद्रासन कैसे करें:
- सबसे पहले एक योगमाट या सजग किलिन चटाई पर बैठें।
- अपने पैरों को आगे की ओर फैलाएं और साँस धीरे से छोड़ें।
- अब अपने दोनों पैरों को घुटनों से मोड़कर अपने नाभि की ओर ले जाएं।
- दाहिने पैर को आगे की ओर मोड़कर बाएं पैर के पीछे रखें।
- अपने हाथों को पीछे की ओर ले जाएं और उन्हें अपने पैरों के पीछे रखें।
- आपके बाएं हाथ की कलाई को दाहिने हाथ की कलाई के पीछे रखें और अपने हाथों को जोड़ लें।
- आपके पूरे शरीर को धीरे-धीरे आगे की ओर झुकाएं, जैसे कि आप किसी को आगे की ओर ले जा रहे हों।
- आपकी सांस को बिना ठहराए, इस स्थिति में ३० सेकंड तक रहें और शांति से साँस लेते रहें।
- धीरे-धीरे उठते समय, पूरे शरीर को समवायु रूप में सामान्य स्थिति में लाएं।
यदि आपको यह आसन करने में किसी भी प्रकार की असुविधा हो या आपके शरीर में किसी तरह की समस्या हो, तो कृपया विशेषज्ञ के साथ परामर्श करें।
5. त्रिकोणासन (ट्रायंगल पोज़)
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यह आसन स्पाइन को फ्लेक्स करने में मदद करता है और शरीर को सुंदर आकार देने में मदद करता है।
त्रिकोणासन, जिसे ट्रायंगल पोज़ भी कहते हैं, एक प्रमुख योगासन है जो शरीर की मांसपेशियों को खींचा जाता है और स्थिरता प्राप्त करने में मदद करता है। इस आसन में शरीर का आकार त्रिकोण की तरह बनता है, इसलिए इसका नाम त्रिकोणासन आया है।
त्रिकोणासन कैसे करें:
- सबसे पहले एक योगमाट या सजग किलिन चटाई पर खड़े हों।
- अपने पैरों को थोड़ा सा दूरी दें और साँस धीरे से छोड़ें।
- अब आपके दोनों हाथों को बाएं हाथ में उठाएं और आपके दाहिने हाथ की उंगली से दायें की ओर पलटें।
- अपने बाएं हाथ को सीधे खड़े होने वाले पैर की ओर झुकाएं और उसे पैर की ओर धकेलें।
- आपके दाहिने हाथ की कलाई को अपनी जांघ के समान दिशा में झुकाएं।
- अब आपके दाहिने हाथ को आपकी जांघ पर रखें और आपके बाएं हाथ की कलाई को अपने दाहिने हाथ की कलाई के समान दिशा में झुकाएं।
- आपके बाएं हाथ को आपकी जांघ पर रखें और आपके दाहिने हाथ को धीरे से आपके दाहिने पैर की ओर झुकाएं।
- आपके शरीर को धीरे-धीरे बायाँ की ओर मोड़ें, आपका बायाँ हाथ आपके सिर के ऊपर होना चाहिए और आपके दाहिने हाथ को आपके दायें पैर की ओर झुकाएं।
- आपकी सांस को बिना ठहराए, इस स्थिति में ३० सेकंड तक रहें और शांति से साँस लेते रहें।
- धीरे-धीरे उठते समय, पूरे शरीर को समवायु रूप में सामान्य स्थिति में लाएं।
यदि आपको यह आसन करने में किसी भी प्रकार की असुविधा हो या आपके शरीर में किसी तरह की समस्या हो, तो कृपया विशेषज्ञ के साथ परामर्श करें।
6. शवासन (कॉर्प्स पोज़)

यह आसन मानसिक तनाव को कम करने में मदद करता है और शरीर को आरामपूर्ण अवस्था में आने देता है।
शवासन, जिसे कॉर्प्स पोज़ भी कहते हैं, एक महत्वपूर्ण योगासन है जो शरीर की थकान को दूर करने और मानसिक चिंताओं को कम करने में मदद करता है। यह आसन विशेष रूप से आरामपूर्ण होता है और शरीर को सुखदीप्ति प्रदान करने का काम करता है।
शवासन कैसे करें:
- सबसे पहले एक योगमाट या सजग किलिन चटाई पर लेट जाएं।
- अपने पैरों को आराम से फैला दें और हाथों को आराम से आपकी ओर रखें।
- आपके हाथों की उंगलियाँ आपकी पैरों की ओर इंगित करें, लेकिन उन्हें छूने नहीं दें।
- धीरे-धीरे आपकी सांस को छोड़ते हुए, आपके शरीर को आराम से ऊपर की ओर बढ़ने दें।
- अपने हाथों को साँस के बाहर फैलाएं और आपकी आंखें बंद कर लें।
- आपके शरीर को धीरे-धीरे सब तरफ से आराम से शांत करते जाएं, आपका ध्यान अपनी सांस और शरीर के अनुभव पर रखें।
- इस स्थिति में ५-१० मिनट तक रुकें और आरामपूर्ण साँस लेते रहें।
- योगासन सत्र के अंत में, धीरे-धीरे अपनी साँस को आपके शरीर में लाकर आसानी से उठें।
7. भ्रमरी प्राणायाम

यह प्राणायाम मानसिक शांति प्रदान करता है और तनाव को कम करने में मदद करता है।
भ्रमरी प्राणायाम एक प्रमुख प्राणायाम तकनीक है जो योग में प्रयुक्त होती है। इस प्राणायाम में हम अपनी साँस को बाहर निकालते और ध्वनि की मदद से उसे समय के साथ अंत तक बाहर दुबारा लाते हैं। इस प्रक्रिया में निकलने वाली ध्वनि की तरंगें हमारे मस्तिष्क के विभिन्न भागों को छूती हैं और मानसिक शांति की अवस्था में मदद करती हैं।
भ्रमरी प्राणायाम कैसे करें:
- सबसे पहले शांत स्थान पर बैठें, अपनी आंखें बंद करें और आरामपूर्वक समवायु बनाएं।
- अपने आँखों को बंद करते समय, अपने शरीर की साँस को बाहर की ओर धीरे-धीरे निकालें।
- अब आपकी साँस को बाहर निकालते समय अपने गले के मध्य भाग को दबाकर मूक नाड़ी बंद करें।
- अब आपके मुख के अंदर ध्वनि बजाने का प्रयास करें, जैसे कि एक मधुमक्खी गूंजती हो।
- ध्वनि को अपनी आवाज़ के साथ निकलने दें, जिससे एक भ्रमरी की तरह की ध्वनि पैदा हो। यह ध्वनि आपको खुद को ध्यान में लाने और मानसिक शांति प्राप्त करने में मदद करेगी।
- ध्वनि को धीरे-धीरे बढ़ते हुए अंत तक बाहर निकालें।
- फिर ध्वनि को धीरे-धीरे कमी करते हुए अपनी साँस को अंदर की ओर लाएं।
- इस प्रक्रिया को ३-५ बार दोहराएं, ध्यान दें कि आपकी सांस की गति धीमी और सहज हो।
योगासन करते समय, आपको सदा आरामपूर्वक और सुखदीप्ति में ही बने रहने का प्रयास करना चाहिए। यदि आपको किसी तरह की असुविधा हो या आपके शरीर में किसी समस्या की जानकारी हो, तो कृपया एक योग गुरु या स्वास्थ्य पेशेवर से परामर्श करें।
8. आनुलोम-विलोम प्राणायाम

यह प्राणायाम श्वास प्रणाली को स्वस्थ बनाने में मदद करता है और मानसिक स्थिति को सुधारता है।
आनुलोम-विलोम प्राणायाम एक प्रमुख प्राणायाम तकनीक है जिसमें हम अपनी साँस को विभिन्न प्रतिष्ठित अनुपानों के साथ नियमित तरीके से निकालते और अंत तक बाहर लाते हैं। इस प्रक्रिया में हम दाहिने और बाएं नारियल के तेलों का प्रयोग करके साँस को नियमित रूप से निकालते हैं, जो मानसिक शांति और शारीरिक स्वास्थ्य में मदद करता है।
आनुलोम-विलोम प्राणायाम कैसे करें:
- सबसे पहले एक शांत स्थान पर बैठें और आरामपूर्वक समवायु बनाएं।
- दाहिने नारियल के तेल को अपने दाहिने उंगली के मध्यमेख से लगाएं और उसे हल्का मालिश करें।
- अपने दाहिने नारियल के तेल लगाए उंगली को आपके दाहिने नासिकाग्र पर रखें, और अपनी दाहिने छोटी नासिका को दबाकर बंद करें।
- अब अपनी साँस को धीरे-धीरे बाहर निकालें, उंगली के दबाव को छोड़ते हुए।
- दाहिने नासिका से साँस निकालते समय, आपकी सांस को आराम से बाहर लाएं।
- अब बाएं नारियल के तेल को अपने बाएं उंगली के मध्यमेख से लगाएं और उसे हल्का मालिश करें।
- अपने बाएं नारियल के तेल लगाए उंगली को आपके बाएं नासिकाग्र पर रखें, और अपनी बाएं छोटी नासिका को दबाकर बंद करें।
- अब अपनी साँस को धीरे-धीरे बाहर निकालें, उंगली के दबाव को छोड़ते हुए।
- बाएं नासिका से साँस निकालते समय, आपकी सांस को आराम से बाहर लाएं।
- इस प्रक्रिया को ५-१० बार दोहराएं, ध्यान दें कि आपकी सांस की गति धीमी और सहज हो।
आनुलोम-विलोम प्राणायाम को नियमित रूप से करने से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार हो सकता है। यदि आपको किसी तरह की असुविधा हो या आपके शरीर में किसी समस्या की जानकारी हो, तो कृपया एक योग गुरु या स्वास्थ्य पेशेवर से परामर्श करें।
9. उष्ट्रासन (कैमल पोज़)

यह आसन स्पाइन को सुखद बनाता है और पीठ की मांसपेशियों को मजबूत करता है।
उष्ट्रासन, जिसे कैमल पोज़ भी कहते हैं, एक प्रमुख योगासन है जो पूरे शरीर की खींचाव और मानसिक स्थिरता प्राप्त करने में मदद करता है। इस आसन में शरीर का आकार उष्ट्र (कैमल) की तरह बनता है, इसलिए इसका नाम उष्ट्रासन आया है।
उष्ट्रासन कैसे करें:
- सबसे पहले एक योगमाट पर बैठें और अपनी गुटनों के बल पर खड़े हों।
- अब आपके गुटनों के बल पर, आपके हिप्स को थोड़ी दूरी पर रखें और अपने पैरों को आपके हिप्स की दिशा में फैलाएं।
- अपने पैरों की उंगलियों को आपके पैरों की ओर फैलाएं और अपने टोंगे की ओर खुद को झुकाएं।
- अब आपके हाथों को पीछे की ओर बढ़ाते हुए, आपकी पीठ को झुकाएं और अपने आंतरिक दीवार से आपके हिप्स की दिशा में बाहर ले जाएं।
- अब आपके हाथ की कलाईयों को आपके पैरों की ओर ले जाएं और उन्हें पैरों के बाल पर रखें।
- धीरे-धीरे, आपके पीठ को आराम से आपके पैरों की ओर खिंचें, जिससे आपका शरीर यौनी अंगों की दिशा में झुके।
- अब आपकी सांस को बिना ठहराए, इस स्थिति में २०-३० सेकंड तक रक्षा करें और धीरे-धीरे बाहर आकर साँस छोड़ें।
- पूरे व्यायाम सत्र के बाद, आपकी साँस को अंत तक बाहर आकर छोड़ें और धीरे-धीरे उठें।
योगासन करते समय, अपने शरीर की सीमा के अंदर रहने का प्रयास करें और किसी भी प्रकार की अत्यधिक खिंचाव से बचें। यदि आपको किसी तरह की असुविधा हो या आपके शरीर में किसी समस्या की जानकारी हो, तो कृपया एक योग गुरु या स्वास्थ्य पेशेवर से परामर्श करें।
10. पश्चिमोत्तानासन (सीटेड फ़ोरवर्ड बेंड)

यह आसन पेट की चर्बी को कम करने में मदद करता है और पीठ को मजबूती प्रदान करता है।
पश्चिमोत्तानासन, जिसे सीटेड फ़ोरवर्ड बेंड भी कहते हैं, एक प्रमुख योगासन है जो पूरे शरीर की मांसपेशियों को खींचाव और मानसिक चिंताओं को कम करने में मदद करता है। इस आसन में आपको अपने पैरों की ओर झुककर आगे की ओर ले जाना होता है, जिससे आपकी पीठ, हिप्स, और पैरों की मांसपेशियों को खींचा जाता है।
पश्चिमोत्तानासन कैसे करें:
- सबसे पहले एक योगमाट या सजग किलिन चटाई पर बैठें।
- अपने पैरों को आपके सामने फैलाएं और उन्हें सांस के साथ ऊपर की ओर उठाएं।
- अब आपके हाथों को आपकी सिर की ओर बढ़ाते हुए, आपकी पीठ की ओर ले जाएं। ध्यान दें कि आपके हाथ आपकी जांघों को छूने नहीं पहुंचने चाहिए, और उन्हें पैरों के बल पर रखें।
- अपने पैरों की उंगलियों को धीरे-धीरे पीठ की ओर ले जाएं, जैसे कि आपके पैरों की ओर झुक रहे हों।
- आपकी साँस को बिना ठहराए, आपके ऊपर की ओर मुड़ते हुए, आपके पैरों की ओर झुकें। ध्यान दें कि आपके पैरों की उंगलियाँ आपकी चाहिए की ओर जाएं।
- आगे की ओर झुकते समय, आपके पैरों को अपने हाथों से पकड़ें और उन्हें धीरे-धीरे आपकी ओर खींचें। ध्यान दें कि आपकी सीने को आपके घुटनों से छूने नहीं देना चाहिए।
- इस स्थिति में २०-३० सेकंड तक रुकें और धीरे-धीरे साँस छोड़ते रहें।
- पूरे व्यायाम सत्र के बाद, आपकी साँस को धीरे-धीरे बाहर आकर छोड़ें और धीरे-धीरे उठें।
योगासन करते समय, आपको धीरे-धीरे और सवाल्य समय तक आसन में बने रहने का प्रयास करना चाहिए, और किसी भी प्रकार की अत्यधिक खिंचाव से बचने का प्रयास करें। यदि आपको किसी तरह की असुविधा हो या आपके शरीर में किसी समस्या की जानकारी हो, तो कृपया एक योग गुरु या स्वास्थ्य पेशेवर से परामर्श करें
लड़कियों के लिए योग का अभ्यास उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को सुधारने में मदद कर सकता है। योग के इन आसनों को नियमित रूप से करके वे अपने जीवन को स्वस्थ, सुखद, और सकारात्मक बना सकती हैं।
नोट: इस लेख में दी गई जानकारी केवल सामान्य सलाह के उदाहरण हैं। योग का अभ्यास करने से पहले, कृपया एक योग शिक्षक से परामर्श करें।
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